How Does RTI Anonymous Work (in English)

बहुत सारे लोग ये पूछ रहे हैं कि वास्तव में ये आरटीआई एनोनिमस (अज्ञात) काम कैसे करता है ? एक अज्ञात आरटीआई काम कैसे कर सकता है, क्या ये कानूनी है?  ये लेख विस्तार में बताता है कि, वास्तव में आरटीआई एनोनिमस काम कैसे करता है…

सच्चे अर्थों में आरटीआई एनोनिमस, अज्ञात नहीं है ! इसमें अस्ली लोग शामिल हैं, जो आरटीआई दाखिल करते हैं.

आरटीआई-एनोनिमस का कोई ऑफिस नहीं है | लेकिन यह दुनिया के हर जगह में है, जहाँ एक इन्टरनेट या वै-फै (Wi-Fi)  संपर्क है |

RTI Anonymous कैसे काम करता है 

RTI-Anonymous कैसे काम करता है 

प्रथम चरण: मान लीजिये एक व्यक्ति है, जो कानपुर में रहता है. उन्के इलाके में एक सड़क है, जो खराब है | इस पर वो आरटीआई दाखिल करना चाहता है. वह लोक सूचना अधिकारी के विवरण और अपने प्रश्नों के साथ एक निवेदन आरटीआई अनोनिमस भेजता है|

 द्वितीय चरण: आर.टी.आई. को लिखने में ( ड्राफ्ट करने में) विशेषज्ञ (उदहारण के लिए, हमारे पास एक पूर्व लो.सु.अ.(PIO) और बंगलोर से सेवानिवृत्त रजिस्ट्रार या पुणे के आर.टी.आई. कार्यकर्ता है|) आर.टी.आई. तैयार करेंगे. आर.टी.आई. लिखने में कुछ अनुभवी लोग भारत के विभिन्न हिस्सों से हैं तो कुछ जागरूक अनिवासी भारतीय(एन.आर.आई) दुनिया के विभिन्न भागों  में रहकर उसकी समीक्षाएं करते हैं और आर.टी.आई. लिखते हैं| अब ये आर.टी.आई. निवेदन Drafted RTI श्रेणी में रखा जाता है | अगर विशेषज्ञ को लगता है कि ये निवेदन तुच्छ है या किसी अनामिकता की जरूरत नहीं है या अभी भी अस्पष्ट है और अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो इसे उचित श्रेणी में रख दिया जाता है (Non RTI, Non-Anonymous RTI या Unclear RTI) |

 तृतीय चरण: एक बार ड्राफ्ट हो गया तो फिर, एक जागरूक नागरिक, मान लीजिये, जो चेन्नई में रहता है , इस ड्राफ्टेड आर.टी.आई. का प्रिंट निकालेगा और भारतीय डाक आदेश से उचित मूल्य के साथ स्पीड पोस्ट करेगा | इसके बाद वह स्पीड पोस्ट नंबर को वेबसाइट पर डाल देगा |

अब ये आर.टी.आई. निवेदन Filed RTI श्रेणी में रख दिया जायेगा |

 चतुर्थ चरण: एक बार जब चेन्नई वाले व्यक्ति को उत्तर मिल जाता है, वह प्राप्त किये हुए दस्तावेज का अपने मोबाइल या कैमरे से तस्वीर ले लेता है| उसे अपने कंप्यूटर में डालता है और फिर वेबसाइट पर डाल देता है| बहुत बार वह सिर्फ आरटीआई अनोनिमस के किसी टीम के सदस्य को एक साधारण पोस्ट ही कर देता है और वो लोग उस दस्तावेज़ को वेबसाइट पर डाल देते हैं|

पंचम चरण: एक बार अपलोड हो गया तो, फिर वास्तविक आवेदक को (कानपूर से या कहीं से भी)  अपने-आप से एक ईमेल प्राप्त करता है, और फिर वह उस दस्तावेज़ को जो उसने प्राप्त किया है, डाउनलोड कर सकता है| साथ ही कोई जनहित याचिका वकील या पत्रकार / रिपोर्टर भी इस वेबसाइट से इन दस्तावेजों को डाउनलोड कर सकते हैं|

याद रखें:

  • आरटीआई (मानो कि)चेन्नई के किसी व्यक्ति के द्वारा दाखिल किया गया है |
  • पुणे या लन्दन में ड्राफ्ट किया गया है |
  • अम्रीका/स्वेडन/हिसार-हर्याणा आदि में समीक्षा की गयी |
  • और वास्तविक आवेदन को (मानो कि)कानपुर के व्यक्ति ने , कानपूर के कोई सरकारी दफ्तर के बारे में भेजा है |
  • और सरकारी धफ्थर से जो दस्तावेज़ मिला है, उसे वास्थाविक आवेधन या आरटीआई - एनोनिमस के किसी सदस्य वेबसाइट पर डाल देता है  |

 ….सब कुछ असली  लोगों के द्वारा किया जाता है , लेकिन कोई भी एक दूसरे को “मिले नहीं हैं या जान्ते नहीं है ”|


यहाँ तक कि आरटीआई – एनोनिमस के संस्थापक(आनंद शर्मा, रितेश सिंह) भी एक दूसरे से अब तक व्यक्तिगत रूप से नहीं मिले हैं|
आरटीआई – एनोनिमस का कोई मुख्य कार्यालय नहीं है|
आरटीआई – एनोनिमस सरकार द्वारा नियंत्रित किसी भी पारंपरिक समाचार पत्रों या समाचार चैनलों पर भी निर्भर नहीं करता है|
फेसबुक / ट्विटर के युग में, हम अपना प्रचार खुद करते हैं|
आरटीआई का प्रत्येक स्कैन किया हुआ दस्तावेज़ अंततः फेसबुक/ट्विटर/गूगल+ पर अपलोड करके बड़े पैमाने पर साझा किया जाता है:
फेसबुक एल्बम

हम दान पर निर्भर नहीं करते हैं| आरटीआई – अनोनिमस मूलतः स्वपोषित पहल की अवधारणा था|
कोई भी दान हमारे कार्य की सराहना के चिन्ह के रूप में आभार के साथ स्वीकार किया जाता है| हर एक पैसा आरटीआई दाखिल करने में ही लगता है|
हमारा संपूर्ण खाता यहाँ पर पूरी तरह पारदर्शी है|